एक है अमृता” -आज़ाद रूह का रसीदी टिकट
27 अगस्त 2022, शनिवार को, दिल्ली के लोक कला मंच में , दोपहर के 2:30 बजे मशहूर लेखिका व कवियित्री अमृता प्रीतम जी की ज़िंदगी के दिलचस्प पहलुओं को मंच पर उतारा जाएगा। द मॉडर्न पोएट्स के बैनर तले “एक है अमृता” (आज़ाद रूह का रसीदी टिकट) तैयार है दर्शकों को कई भावों से भिगोने के लिए। नाटक की शुरुआत अमृता प्रीतम के बचपन से शुरू होते हुए उनके अहम सालों की झलकियाँ दिखाएगी, उनका गुजरांवाला गाँव में जन्म, विपासना में उनका देहरादून जाना, दिल्ली और मुम्बई के दृश्य । इस नाटक में साहिर लुधियानवी और इमरोज़ का अमृता प्रीतम जी के जीवन में महत्व भी दिखाया जाएगा। जहाँ तकसीम का दर्द है वहीं अमृता और इमरोज़ की प्यार भरी बातें भी। अमृता प्रीतम की कविताओं का मर्म नाटक के किरदार मंच पर उतारने की कोशिश करेंगे। इस नाटक में पल्लवी महाजन अमृता के किरदार में नज़र आएंगी, उनके बचपन का किरदार निभाएंगी अक्शा। साहिर की भूमिका निभाने वाले अनस साहिर का अमृता से क्या रिश्ता था ये दिखाने की कोशिश करेंगे। इस नाटक में शेफाली शर्मा नाट्य और अभिनय द्वारा तकसीम का मंज़र दिखाएंगी वहीं अंशुल जोशी अमृता के पिता नंद साधू और सूत्रधार के किरदार में नज़र आएंगे। अमृता प्रीतम और इमरोज़ की मुलाकात ख़त के ज़रिए दिखाने के लिए मोहित इमरोज़ के किरदार में नज़र आएंगे। गंगाजल से वोदका तक का सफर इस नाटक “एक है अमृता” (आज़ाद रूह का रसीदी टिकट) में दिखाया जाएगा। इस नाटक का निर्देशन मोहित द्विवेदी ने किया है। उनका मानना है कि अमृता प्रीतम के जीवन के अनछुए पहलुओं में बहुत से फ़लसफ़े छुपे हुए है जिन्हें दर्शकों तक पहुँचाना है।
“मैं तेनु फिर मिलांगी” – अमृता प्रीतम
“मैं तेनु फिर मिलांगी” से इस नाटक को दर्शकों के हवाले कर दिया जाएगा कि वो अमृता का कितना हिस्सा अपने साथ घर ले जाएँगे। इमरोज़ कहते थे “उसने जिस्म छोड़ा है साथ नहीं” अमृता प्रीतम की रूह हमारे साथ है और उसी रूह को दिखाया जाएगा लोक कला मंच दिल्ली में। तो आइए चखते है अमृत लहर की बूंदें दिल्ली की गलियों में…..
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