मेरा देश जल रहा है | सियासत और कटघरे

देश जल रहा है

मेरा देश जल रहा है

धर्म की आंच पे एक फकीर
राजनीति की मूँग दल रहा है
तालियाँ बज रही हैं
मेरा देश जल रहा है

मेरा देश जल रहा है
मेरा देश जल रहा है

तेल की कीमतें आसमान छू रही है
मीडिया में विपक्ष का तांडव चल रहा है
बेरोजगारी बढती जा रही है
मेरा देश जल रहा है

खेत सूने पढ़े हैं फसलें सूखी हैं
ठंड और धूप में किसान जल रहा है
नदियों में लाशें बह रही है
मेरा देश जल रहा है

गरीबी बेहिसाब है हर तरफ
मध्यम वर्ग को उद्योगपति छल रहा है
शिक्षा के मंदिर खंडर हैं
मेरा देश जल रहा है

उठती आवाजों पे सख्त पहरे हैं
तानाशाही का दौर चल रहा है
तड़ीपार सत्ता में जा बैठे हैं
मेरा देश जल रहा है।

– गीत

सियासत और कटघरे 

सियासत और कटघरे 
कटघरे वही रहेंगे
लोग बदलते जाएंगे
इलज़ाम लगाए जाएंगे


कानून पढ़ाए जाएंगे
दर्प की इस लड़ाई में
बेगुनाह मारे जाएंगे
फांसी पे वो झूलेंगे
जो कहते हैं क्रांति लाएंगे
शान्ति का पाठ पढ़ाने वाले
भी मौत के घाट उतारे जाएंगे
सियासी गिद्धों की रखैल अदालत
इसमें से जनाज़े निकाले जाएंगे
धर्म की आड़ में
मासूम मारे जाएंगे
गुनहगार दूर से देख के
बेेबसी पे ताली बजाएंगे


कटघरे वही के वही रहंगे
बस सवाल बदलते जाएंगे।

– गीत

लेखिका के बारे मे

Writer Geet Chaturvedi

गीतिका गौरव

सामाजिक कार्यकर्ता और लेखिका | संस्थापक – सभ्यता फाउंडेशन

गीतिका जी का लेखन के साथ साथ सामजिक कार्यों, शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी संस्था सभ्यता फाउंडेशन और व्यक्तिगत रूप से महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

Follow Writer on Instagram : Geetikaagaurav

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