फैशन मैगज़ीन | यशलीन (कहानीवाली)
आज कक्षा – 9 की लड़कियों में अलग कानाफुसी चल रही थी। डॉक्टर साहब की बेटी स्वाती आज मम्मी की अलमारी से फैशन मैगज़ीन जो निकाल स्कूल ले आई थी। सारी लड़कियाँ बस लंच ब्रेक का वेट कर रही थी। जैसे ही लंच बेल बजी, सारी लड़कियाँ स्वाती के बेंच पर जा पहुँची।
उस छोटे से गाँव की लड़कियों के लिए वो फैशन मैगज़ीन किसी अचंभे के बच्चे से कम नहीं था। उन सब में एक थी मीनू, पिताजी मिस्त्री थे और माँ यही कोई सिलाई बुनाई का काम करती थी। मीनू को नई नई डिजाइन और कारीगरी बहुत पसंद थी। मैगज़ीन देखते देखते, मीनू की नजर एक गुलाबी जालीदार यानी नेट गाऊँन पर अटक गयी, उसे अब वैसी ही एक ड्रेस चाहिए थी बस। स्वाती से काफ़ी मिन्नते और उसका गणित का सारा होमवर्क करने के प्रोमिस के बाद, स्वाती ने मीनू को उस गाउँन की फोटो वाला पन्ना फाड़ कर दे ही दिया। मीनू ने मानों आधी जंग यही जीत ली। मीनू बस अब चाहती थी, कब ये स्कूल की छुट्टी हो और वो घर जा कर ये फोटो माँ को दिखाए। स्कूल की छुट्टी हुई और मीनू घर की ओर भागी। रोज जहाँ वो तीस – पैंतीस मिनट में आधे गाँव का चक्कर लगा कर घर पहुँचती थी, आज दस मिनट में अपने घर के बरामदे में थी। माँ और पिताजी दोनो खटिया पर बैठे कुछ बातें कर रहे थे।
पिताजी माँ को कह रहे थे की – इस महीने कुछ खास कमाई नहीं हुई, घर की छत इस बार भी बरसात से पहले नहीं बन पाएगी। उन दोनों की ये सारी बातें सुनकर मीनू ने वो मैगज़ीन का पन्ना अपनी मुठी में मरोड़ कर पीछे छुपा लिया। तभी पिताजी को कोई काम का बुलवा आया और वो चले गए। माँ की नज़र मीनू पर गयी, जो बरामदे में हाथ पीछे करके खड़ी ना जाने क्या सोच रही थी। माँ ने कहा – अरे मीनू रानी, तुम कब आई और ये पीछे क्या छुपाया है? मीनू ने मुट्ठी आगे बढ़ा दी, माँ ने मरोड़ा हुआ पन्ना खोला और ड्रेस की फोटो देखी। मीनू बड़ी सरलता से बोली – मेरे पास तो अभी कितनी नयी फ़्रॉक पड़ी है, ये फोटो वाली अभी नहीं चाहिए। माँ अंदर कमरे में गयी और एक हल्की गुलाबी रंग की साड़ी ले कर आई। उन्होंने कहा – देख तो मीनू, जाली वाला कपड़ा तो नहीं है, पर तु कहे तो इस कपड़े की ये फोटो जैसी फ़्रॉक बना दु? बस फिर क्या था, ये सुनकर मीनू ख़ुशी से अपनी माँ से लिपट गयी।
बस फ़िर क्या था, माँ फ़्रॉक बनाई, उसमें फूलों वाली लेस भी लगाई। थोड़े ही दिनों बाद आखिरकार वो दिन आ ही गया जिसका इंतज़ार मीनू को बहुत दिनों से था, “उसका बर्थ-डे” ।
मीनू ने माँ का बनाया गाऊँन पहनकर स्कूल गयी, सबने मीनू के ड्रेस की तारीफ की, मीनू की खुशी आज सातवे आसमान पर थी। मीनू और उन जैसी लड़कियों की दुनिया कितनी अलग होती है न, हमसे काफ़ि अलग।
छोटी छोटी महत्त्वकंक्षाए।
बस इतनी सी थी ये कहानी
मीनू और उन जैसी लड़कियों की दुनिया कितनी अलग होती है न, हमसे काफी अलग ।
इतनी छोटी छोटी महत्त्वकंक्षाए ।
लेखिका के बारे मे
नमस्कार सभी को।
मैं यशलीन – आपकी कहानीवाली ।
हमारी जिंदगी का हर पल अपने आप में एक कहानी कहता है, मैं बस एक ज़रिया हूँ उन सभी अनकही कहानियों को आप सभी तक पहुँचाने का।
धन्यवाद 🙂
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Waah