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हिंदी साहित्य को नया मुकाम देते डिजिटल साहित्यिक प्लैटफॉर्म्स
साहित्य विधा को हम सभी लम्बे वक़्त से कैनवास के ऊपर और कागज़ी तौर पर पढ़ते आए हैं, जिसमें किताबों, पत्रिकाओं , साहित्यिक मंचो और प्रकाशकों और लेखकों का एक महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं, लेकिन आज के पाठक वर्ग के लिहाज़ से देखा जाये तो बदलते समय के साथ-साथ आज का साहित्य भी डिजिटल शैली को अपना चुका हैं, आज हम सैकड़ो किताबों,पत्रिकाओं,कविताओं,कहानियों और लेखों को महज़ एक छोटी सी डिजिटल स्क्रीन पर पढ़ सकते हैं और दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर अपने विचारों को पाठक वर्ग तक पहुँचा सकते हैं साथ में अपने पसंदीदा लेख़क और कवि की कृति का भी अध्य्यन कर सकते हैं,
इसी क्रम में आज हम आपको कुछ ऐसे ही डिजिटल साहित्यिक मंचो के सराहनीय प्रयासों से रूबरू करायेंगे, जिन्होंने हिंदी और उर्दू साहित्य को देश के विभिन्न कोनों में बैठे पाठकों तक पहुँचाने और इसके साथ ही युवा लेखकों के विचारों और सराहनीय कृतियों ( कविता , कहानी , सामाजिक लेख ) को जन-जन तक पहुँचाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया हैं
ऐसे ही कुछ उभरते और सोशल मीडिया पर अपनी लोकप्रियता की छाप छोड़ चुके डिजिटल हिंदी साहित्यिक संस्थाओ सूची निम्नलिखित हैं –
हिन्दीनामा – Hindinama
हिंदी साहित्य के क्षेत्र में हिन्दीनामा आज डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबद्ध और साहित्य को समर्पित एक उभरता हुआ मंच हैं जिसका उद्द्येश्य सभी हिंदी बोलने, पढ़ने -लिखने और हिंदी को साहित्यिक भाषा के रूप में गहराई से स्थापित होते देखने वाले लोगों को एक दूसरे से जोड़ना और डिजिटल माध्यमों के जरिए रू-ब-रू कराना और इसके साथ ही बड़े स्तर पर नवोदित लेखकों और उनके उत्कृष्ट लेखन और विचारों को मंच प्रदान करने की पहल हैं, जो आज सोशल मीडिया तथा पाठक वर्ग के बीच अपनी गहरी छाप छोड़ चुका हैं ।
हिन्दीनामा की शुरुआत 2016 में, इंजीनियरिंग पृष्ठ भूमि से आने वाले और हिंदी के प्रति गहनतम लगाव रखने वाले, अंकुश कुमार द्वारा दिल्ली में हुई, जिन्होंने इंजीनियरिंग करने के पश्चात, हिंदी के प्रति अपने इसी बढ़ते लगाव और दिलचस्पी के कारण बाद में हिंदी साहित्य से स्नातकोत्तर (एम.ए.) किया जो वर्तमान में हिंदी के क्षेत्र में कार्यरत हैं।
इसके साथ ही हिन्दीनामा को आज एक बड़े स्तर और पाठक वर्ग तक पहुँचाने में इसके सह-संस्थापक उज्जवल भड़ाना ,अनुष्का ढौंडियाल, राजेंद्र नेगी और प्रियवर्त जोशी का महत्वपूर्ण योगदान रहा
आज के समय में जहाँ सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर कविताओं और हिंदी साहित्य के नाम पर बिना सर-पैर की तुकबंदी की बाढ़ आई हुई है।
वहीं ‘हिन्दीनामा’ अपने मंच पर जाने वाली रचनाओं के स्तर को लेकर सजग है। और फ़ेसबुक के साथ-साथ इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे चर्चित प्लेटफॉर्म्स पर भी ‘हिन्दीनामा’ अच्छे प्रशंसक बटोर चुका है, जिनमें साहित्य, पत्रकारिता तथा सिनेमा जगत की कई प्रसिद्ध हस्तियाँ शामिल हैं और इसके साथ ही हिन्दीनामा के डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर आज पाठकों की संख्या 5 लाख से भी अधिक हैं जो दिन प्रति-दिन बढ़ रहें हैं ,और हिन्दीनामा अधिक लोगों तक अपने विचार साँझा कर पा रहा हैं ।
आप हिन्दीनामा की आधिकारिक वेबसाइट (https://hindinama.in/) पर हिंदी साहित्य और लेखकों के बारे में और गहराई से पढ़ सकते हैं इसके साथ ही अपनी रचनाएँ भेज सकते हैं और टीम हिन्दीनामा को सपोर्ट कर सकते हैं।
जिसका लिंक यहाँ उपस्थित हैं – हिन्दीनामा ब्लॉग
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हिंदी पंक्तियाँ – Hindi Panktiyaan
हिंदी पंक्तियाँ की शुरुआत 2017 में, IIT कानपुर के परिसर में हिंदी पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों को बढ़ावा देने और कैंपस के भीतर हिंदी लेखकों को एक इकोसिस्टम प्रदान करने और इसके साथ हे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के पाठकों तक उनके लेखन को पहुंचाने के लिए हुई ।
IIT कानपुर के छात्र रहे और हिंदी पंक्तियाँ के संस्थापक दीपक शंकर जोरवाल ने इसकी शुरुआत व्यक्तिगत तौर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से की जो की आज देशभर में हिंदी और साहित्य के क्षेत्र में अपने 6 लाख से अधिक पाठकों के साथ एक उभरता हुआ मंच बन चुका हैं।
हिंदी पंक्तियाँ ने हाल ही में प्ले स्टोर पर लेखक और पाठक कम्युनिटी को बढ़ावा देने और युवा लेखकों की ऑडियंस रीच को कम्युनिटी स्तर तक पहुंचाने के लिए पंक्तियाँ नाम से ऐप की शुरुआत की हैं, जिसका मुख्य उद्द्येश लेखकों और पाठकों क बीच एक डिजिटल पब्लिकेशन आधारित इकोसिस्टम डेवलप करना हैं
पंक्तियाँ ऐप को डिज़ाइन और डेवलप करने में हिंदी पंक्तियाँ के सह संस्थापक अभिषेक का महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं, और Team Panktiyaan समकालीन हिंदी/ विश्वस्तरीय साहित्य और युवा लेखकों को बड़े स्तर पर मंच देने के लिए प्रतिबद्ध प्रयासरत है
आप पंक्तियाँ ऐप्प को इस लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं – Panktiyaan App
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कविताएँ – Kavitaayein
कविताएँ, आज जन चेतना और साहित्य को जोड़ने वाला मंच बनकर पाठकों के बीच उभरा हैं , हिंदी और विश्वस्तरीय साहित्य को बढ़ावा देने के साथ साथ सामाजिक,राजनीतिक और सम-सामायिक मुद्दों को साहित्य विधा, कविताओं और क्षणिकाओं के माध्यम से प्रस्तुत करना और पाठकों तक पहुँचाना और उन्हें इनके प्रति जागरूक करने की विचारधारा के साथ आगे बढ़ता हुआ एक मंच हैं ।
जिसने बेहद कम समय में डिजिटल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स अपनी एक अलग छवि बनाई हैं और सक्रियता के साथ आगे बढ़ रहा हैं ।
कविताएँ मंच की शुरुआत 16 मई 2020 को जवाहर लाल यूनिवर्सिटी के परिसर में संस्थापक शुभम रॉय के द्वारा हुई जो वर्तमान में रुसी भाषा और साहित्य से ग्रेजुएशन कर रहें हैं और इसके साथ ही हिंदी भाषी और साहित्य प्रेमी व्यक्तित्व के नवयुवक हैं, जिनके प्रतिबद्ध प्रयासों की बदौलत आज कविताएँ इस मुकाम तक पहुँचा हैं, इसके साथ ही कविताएँ मंच को वर्तमान समय में सुचारु और व्यवस्थित ठंग से चलाने में , टीम कविताएँ से भूपेंद्र सिंह,चंचल चौधरी, स्वाति शुक्ला, मिर्ज़ा का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं ।
आप कविताएँ से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और टेलीग्राम पर जुड़ सकते हैं, इसके साथ ही अपनी रचनाएँ भेज सकते हैं और टीम कविताएँ को सपोर्ट कर सकते हैं,
जिसका लिंक यहाँ उपस्थित है – Connect with Kavitaayein
टेलीग्राम लिंक – Team Kaavitayien
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कविता कोश – Kavita Kosh Org
कविता कोश, साहित्य प्रेमियों और हिंदी पाठकों के लिए एक परिचित और प्रतिष्ठित नाम हैं, तथा डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर इसकी लोकप्रियता और विश्वसनीयता से हिंदी पाठक-वर्ग भलि-भाँति वाकिफ़ हैं।
कविता कोश, वर्तमान समय में भारतीय भाषाओं के काव्य तथा हिंदी-उर्दू साहित्य के भीतर सबसे विशाल और विश्वसनीय ऑनलाइन वेब पोर्टल हैं, जिसकी स्थापना 5 जुलाई 2006 को तकनीकी पृष्ठ भूमि से आने वाले साहित्य प्रेमी और वरिष्ठ समाजसेवी ललित कुमार (सम्यक ललित ) जी द्वारा हुई थी, जिनका उद्द्येश्य हिंदी और विश्वस्तरीय साहित्य के साथ साथ विभ्भिन्न क्षेत्रीय और लोक-भाषाओं के साहित्य को डिजिटल रूप में सहज और सरल तरीके से एक मंच (वेब पोर्टल) पर हर वर्ग के पाठकों के लिए प्रस्तुत करना हैं।
कविता कोश वेब पोर्टल पर आज 50+ भाषाओं में और 2,900+ से अधिक रचनाकारों के लेख, कविताएँ, ग़ज़लें, नज़्म, शायरी और लोकगीत उपलब्ध हैं।
कविता कोश शुरुआत से ही सवयंसेवा पर आधारित एक मंच रहा हैं और विगत कुछ वर्षों में कविताकोश को यहाँ तक पहुँचाने और हिंदी भाषा के भीतर सबसे बड़े वेब पोर्टल बनने के सफर में बहुत से लोगों ने निःस्वार्थ आर्थिक और सामाजिक रूप से मदद की हैं
आप कविता कोश से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर जुड़ सकते हैं, इसके साथ ही कविता कोश की आधिकारिक वेबसाइट (Kavita Kosh.org ) पर हिंदी साहित्य और लेखकों के बारे में और गहराई से पढ़ सकते हैं और कविता कोश को आर्थिक रुप से अपना योगदान दे सकते हैं।
जिसका लिंक यहाँ उपस्थित है – Donate Kavita kosh Org
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पोषम पा – Posham Pa Org
हिंदी को “सहज हिंदी, नहीं महज हिंदी” का स्लोगन देने वाला मंच पोषम पा, पाठकों के बीच दूसरे साहित्यिक मंचो की तुलना में अपनी एक अलग छवि के साथ उभरा हैं, जिसका उद्द्येश महज़ हिंदी साहित्य को लिखित रूप तक सिमित ना रखकर, इसको विभिन्न माध्यमों से जिसमे पॉडकास्ट,आकर्षक डिज़ाइन, विज़ुअल और वीडियो ग्राफ़िक्स के द्वारा पाठकों और हिंदी प्रेमी लोगों तक पहुँचाना हैं।
पोषम पा के संस्थापक पुनीत कुसम हैं जिन्होंने हिंदी साहित्य से (एम. ए.) स्नातकोत्तर किया हैं।
आप पोषम पा से सोशल-मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर जुड़ सकते हैं, इसके साथ ही पोषम पा की आधिकारिक वेबसाइट (https://poshampa.org/ ) पर हिंदी साहित्य और लेखकों के बारे में और गहराई से पढ़ सकते हैं और टीम पोषम पा को सपोर्ट कर सकते हैं।
जिसका लिंक यहाँ उपस्थित है – Posham Pa.org
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हिन्दवी – Hindiwi Org
हिन्दवी मंच, भारतीय साहित्यिक वेब पोर्टल, रेख्ता फाउंडेशन का एक उपक्रम और अभिन्न अंग है,जिसकी शुरुआत रेख़्ता फाउंडेशन (Rekhta Organization) के द्वारा 2020 में हुई, हिन्दवी का मुख्य उद्द्येश आधुनिक और छायावाद युग के हिंदी भाषी लेखकों और साहित्य को डिजिटल वेब पोर्टल और सोशल मीडिया के माध्यम से युवापीढ़ी और पाठकों तक पहुँचाना हैं जो की प्राचीन साहित्य से समकालीन तक की कविता यात्रा को दर्शाते हुए आगे बढ़ रहा हैं और बेहद कम समय में एक प्रतिष्ठित संस्थान बनकर पाठक वर्ग के बीच उभरा हैं।
आप हिन्दवी से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर जुड़ सकते हैं, इसके साथ ही हिन्दवी की आधिकारिक वेबसाइट पर हिंदी-साहित्य और लेखकों के बारे में और गहराई से पढ़ सकते हैं ।
जिसका लिंक यहाँ उपस्थित है –Connect with Hindwi org
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इस सूची में हमने कुछ चुनिंदा और हिंदी को एक नया मुकाम देने वाले डिजिटल प्लैटफॉर्म्स को शामिल किया हैं, इसके अलावा भी हिंदी-उर्दू साहित्य के भीतर ऐसे बहुत से मंच और संस्थाएँ हैं जो निरंतर और प्रतिबद्ध रूप से सराहनीय कार्य कर रहीं हैं,और अपना बहुमूल्य योगदान दे रहीं हैं ।
हमें उम्मीद हैं यह लेख आपके लिए उपयोगी और जानकारी युक्त रहा होगा।
धन्यवाद !
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लेखक : हिमांक ( Mayank Aswal )
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